क्या चंद्रयान 3 भी रूस के luna 25 की तरह असफल होगा?
कैसे होगी चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग?
चंद्रयान 3, भारत का तीसरा moon मिशन है। इसे 14 जुलाई, 2023 के दिन लॉन्च किया गया है। और पूरे भारत की ही नहीं, बल्कि सारे विश्व की नजरें चंद्रयान 3 पे टिकी हुई है।
मिशन के बारे में जानकारी पाने के लिए नीचे दी गई लिंक पे क्लिक कीजिए!
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चंद्रयान 3 का असली मिशन होगा अब शुरू
क्यों है चंद्रयान 3 इतना अहम?
1. चंद्रयान 2 के मिशन में आधी सफलता हासिल हुई थी।
चंद्रयान 2 के दो हिस्से थे - एक ऑर्बिटर (orbiter) और दूसरा लेंडर (lander) ।
जिसमे से ऑर्बिटर का काम चंद्र की कक्षा में स्थापित होकर उसके आसपास परिक्रमा करनी थी। तथा विक्रम लेंडर को चंद्र के दक्षिण ध्रुव पे लेंड होना था।
लेकिन जब विक्रम लेंडर ने चंद्रमा की सतह पे उतरने की कोशिश की तो वो hard land हुआ, आसानी से ना उतर पाया। जिसकी वजह से लेंडर से ISRO का संपर्क भी टूट गया और विक्रम लेंडर से आने वाली जानकारी हमे ना मिल सकी।
इन्ही सब जानकारी को हासिल करने के लिए ISRO ने वापस एक बार साहस करके चंद्रयान 3 को मिशन पे भेजा है। इसलिए यह बोहोत अहम मिशन है। और खास कर के कल होने वाली लैंडिंग सबसे important है।
2. Russia का moon mission Luna 25 फेल हुआ!
चंद्रयान 3 के लॉन्च होने के कुछ दिन बाद रूस ने भी अपना moon mission लॉन्च किया। जिसका नाम Luna 25 था। ये मिशन भी चंद्र के दक्षिण ध्रुव पे लेंड करने वाला था। लेकिन कुछ तकनीकी कारणों की वजह से पहले Luna 25 का Roscosmos (रशिया की अवकाश संशोधन संस्था) के साथ सपर्क टूट गया। और बाद में ये स्पेस क्राफ्ट जाके चंद्र की भूमि पे crash हो गया।
रशिया के इस moon mission के असफल होने के बाद, पूरे विश्व की नजरें chandrayan 3 पे टिकी हुई हैं।
ISRO के द्वारा दी गई चंद्रयान के LANDER और ROVER कि कुछ जरूरी INFORMATION
चंद्रयान 3 की 5 खास बातें
चंद्रयान 3 में ISRO के द्वारा कई ऐसी खास तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे भारत के इस moon mission की सफलता की निश्चित ही हैं।
1) चंद्रयान 3 के lander module के legs, जो सबसे पहले चंद्र की भूमि के संपर्क में आयेंगे, उन्हे बोहोत ज्यादा मजबूत बनाया गया है। ये इतने मजबूत हैं की अगर landing कोई खड्डे या चट्टान पे हुई, फिर भी lander stable रह पाए।
2) चंद्रयान 3 के lander module को चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर के साथ संपर्क में रखा गया है। चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर 4 सालों से सफलतापूर्वक चंद्र की परिक्रमा कर रहा है। इससे अगर किसी कारण से चंद्रयान 3 का पृथ्वी पे ISRO से संपर्क टूट जाता है, फिर भी वह चंद्रयान 2 के साथ संपर्क में रहेगा, और इस तरह हमे सब जानकारी प्राप्त होती रहेगी।
3) lander module में एक खास किस्म का camera लगाया गया है, जिसे LHDAC कहते हैं। LHDAC मतलब Lander Hazard Detection and Avoidance Camera - लेंडर का खतरे का पता लगाने और बचाव कैमरा । ये camera ने चांद की सतह की कई फोटो भेजी हैं, जिससे इस camera की हेल्थ का पता लगाया गया। इसी कैमरा का landing की आखिर में बोहोत जरूरी कार्य है। लैंडिंग के दौरान ये कैमरा देखेगा की लैंडिंग की जगह उतरने के लिए ठीक है या नहीं। अगर कोई खड्डे या चट्टाने होंगी, तो वो लेंडर मॉड्यूल को अलर्ट कर देगा। इससे सॉफ्ट लैंडिंग की सफलता के chances बढ़ जाते हैं।
4) चंद्रयान 3 के landing की जगह पहले से तय है। ISRO ने चंद्र के map का अध्ययन करके एक जगह चुनी है, और उस जगह की इनफॉरमेशन lander module में फिट कर दी गई है। इस जगह के पास पोहोच के लेंडर मॉड्यूल का LHDA कैमरा जगह ठीक है या नही वो जांच करेगा। फिर जब सब परिस्थिति ठीक रहेगी तब लैंडिंग की जाएगी।
5) ISRO द्वारा ये भी प्रावधान रखा गया है की अगर कोई अनिर्धारित वजह से निश्चित दिन पे लैंडिंग की कोशिश नही हो पाती, तो लैंडिंग की दूसरी बार कोशिश भी की जा सकती है।
अगर चंद्रयान 3 ने चंद्र पे सफल सॉफ्ट लैंडिंग कर लिया, तो भारत चंद्र के दक्षिण ध्रुव पे जानेवाला पहला देश बन जाएगा। इससे भारत तथा ISRO को बोहोत फायदा होने वाला है।
इन सब वजहों के अलावा अगर आपको चंद्रयान के बारे में कोई और खास बात मालूम है तो हमे जरूर बताना।
कल इस वेबसाइट पे आपको चंद्रयान 3 live landing देखने को मिलेगा, इसलिए जरूर से चेक करना।
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भारत माता कि जय!
जय हिंद!
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Urvi Bhanushali
Manish Mevada
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