दीवाली की रंगोली की असली वज़ह और इसके पीछेका विज्ञान

Manish Mevada Biology


दिवाली के त्योहार में रंगोली हर घर में बनती है। पर क्या हम उसकी असली वजह जानते हैं? आइए इस आर्टिकल में हम रंगोली के science को अच्छे से जानते हैं।


रंगोली हमारे भारत में बोहोत प्रचलित कला है। यूं कहे की एक प्रथा ही है। जब हर में कोई भी शुभ प्रसंग हो तो रंगोली डिजाइन बनाई जाती है। और दिवाली के दिनों में तो रंगोली बनाना एक rule सा है! रंगोली बोहोत प्रकार की होती है जैसे की फूलों की रंगोली, चावल के आटे की रंगोली, रेत की रंगोली वगैरह। पर रंगोली की प्रथा के पीछे कोई ना कोई वजह जरूर होगी। उसे हम समझनी की कोशिश करेंगे। इस आर्टिकल में हम रंगोली का इतिहास भी जानेंगे, जो आपने शायद कभी हुई नही पढ़ा होगा। आर्टिकल के end में आआपको RANGOLI MAKING TIPS भी दी गई हैं, जरूर try करना।


रंगोली का इतिहास


रंगोली हम जब भी बनाते हैं या देखते हैं तो वो हमें बिलकुल नया नया सा आभास देती है। पर सच में रंगोली बोहोत आदिकाल से चली आ रही है। कोई भी बात को सम्पूर्ण समझने के लिए उसके भूतकाल यानी की इतिहास समझना बोहोत जरूरी होता है। तो आइए देखते हैं रंगोली का इतिहास।

इतिहासकार कहते हैं की आदिपुरुष जो गुफाओं में रहते थे उनके समय से रंगोली बनती आ रही है। मोहेंजो डरो और हरप्पा संस्कृति के अवशेषों में भी रंगोली पाई गई है। हालाकि उनकी रंगोली आज की modern रंगोली से अलग होती थी, उसमें फूल, पत्ते, सर्प इत्यादि देखे जाते हैं। 

हमारे पुराण में रंगोली का सबसे पहला उल्लेख लोपामुद्रा की रंगोली बनाने की विधि से आता है। वह अगस्त्य मुनि की पत्नी थी। उन्होंने अपने पति को मदद करने तथा उन्हें प्रसन्न करने के लिए रंगोली बनाने का सोचा को यज्ञकुंड के लिए उचित हो। लोपामुद्रा ने पंच महाभूत से रंग मांगे और उन्हें अपनी रंगोली में भर दिए जिससे रंगोली खूब सुंदर बनी।

भरत मुनि द्वारा लिखित नाट्यशास्त्र (जो विश्व की कला संबंधित सबसे पुरानी बुक है) में रंगोली का उल्लेख है। उसमें लिखा गया है की कोई भी नृत्य या कला को परफॉर्म करने से पहले स्टेज पे फुलों और अन्य पदार्थों के इस्तेमाल से मंडल(आज की भाषा में रंगोली) बनाया जाता था, फिर देवों की पूजा अर्चना की जाती थी। ऐसा करने से देव गण उस मंडल में अपना अपना स्थान ले लेते थे और फिर कला और कलाकार पे अपना आशीष बरसाते थे।

हिंदू संस्कृति के इतिहास जैसे की रामायण और महाभारत के कई प्रसंगों में रंगोली की बात की गई है। रामायण में जब हनुमान जी विभीषण के महल में जाते हैं, तो उसके वर्णन में सबसे पहले रंगोली का उल्लेख करते हैं की कैसे उसके द्वार पे सुंदर कला (रंगोली) रचाई गई है। श्रीमद भागवत में ये लिखा गया है की जब एक बार कृष्ण कहीं दूर गए थे, तो गोपियों ने उनकी याद में एक साफ स्वच्छ जगह पे रेत से श्री कृष्ण का चित्र बनाया और उसमें फूलों से रंग भर दिए। 


रंगोली का विज्ञान


हिंदू धर्म की हर विधि के पीछे कुछ ना कुछ वैज्ञानिक कारण जरूर होता है। वैसे ही रंगोली के पीछे भी बोहोत रोचक science जुड़ा हुआ है।


हिंदू घरों में रंगोली को बोहोत शुभ माना जाता है। खास कर दिवाली के अवसर पे घर के आगे रंगोली बनाने का रिवाज़ है। कहते हैं की दिवाली के इन पांच दिनों में सभी ऊर्जाएं (अच्छी और बुरी) बोहोत ताकतवर हो जाती हैं। तो जो अच्छी ऊर्जाएं हैं वो रंगोली को देख के खुश होती हैं और घर में प्रवेश करती हैं। और जो बुरी ऊर्जाएं हैं वो रंगोली designs में उलझ जाते हैं और घर के प्रवेश नही कर पाते। ये तो mythological बातें हैं, जिनके पीछे के कारण हम पूरी तरह नही समझ पाते हैं। पर रंगोली का scientific reason क्या है ये जानते हैं।


Modern science कहता है की geometrical patterns आसपास के वातावरण में positivity ला सकती है। आयुर्वेद के ग्रंथो के मुताबिक अलग अलग pattern और रंग हमारे शरीर के चक्रों पे और हमारे अंगो पे भी असर करते हैं। जैसे की लाल रंग और उल्टा त्रिकोण हमारे मणिपुर चक्र और पाचनतंत्र पे पॉजिटिव असर करता है। इसके अलावा रंगोली बनाने के लिए हाथ की जो मुद्रा बनती है वो सेहत के लिए और spiritual प्रगति के लिए बोहोत उपयोगी होती है।


Neuroscience के experts  का मानना है की visual patterns का हमारे दिलो दिमाग पे बोहोत असर करता है। यही कारण है की घर में आते जाते लोग जब रंगोली में बने इन patterns को देखते हैं, तो उनके दिमाग में positivity आ जाती है और मन प्रफुल्लित हो जाता है। दक्षिण भारत के कई घर के बाहर हररोज रंगोली करने का रिवाज़ है, काम पे जाने से पहले वो रंगोली पैटर्न देख के जाने से दिन अच्छा गुजरता है ये वहां के लोगों का मानना है। 


एक दूसरा भी कारण है। कोलम प्रकार की ये रंगोली चावल के आटे से बनाई जाती है। ये हररोज इसलिए की जाती है ताकि चावल का ये आटा चीटियां, चिड़िया या और जीव जंतु खा सके। 



रंगोली बनाने की tips


रंगोली बनाना एक कला है, और ये कला में अगर आपको interest है तो बोहोत आगे बढ़ सकते हैं। पर शुरुआत से होगा। नीचे पॉइंट्स में कुछ टिप्स दी गई है, उसे फॉलो करने से आप आसानी से रंगोली बना सकते हैं।

  • रंगोली के लिए हो सके तो सीधी और बिना कंकरों वाली जगह ढूंढे। 
  • Chalk या pencil से कोई easy rangoli design ज़मीन पे बना लें। अगर आप रंगोली बनाना सीख रहे हैं तो बड़े आकारों वाली रंगोली डिजाइन select कीजिए, ताकि फिर उसमें रंग भरने में आसानी हो।
  • आप रंग भरने के लिए चाय की छलनी का इस्तेमाल कर सकते हैं, बॉर्डर बनाने के लिए फेविकोल की खाली डिब्बी use कर सकते हैं।
  • अगर हाथ से रंगोली बनाने है, तो बिल्कुल थोड़ा सा रंग चुटकी में लीजिए, और पहली उंगली और अंगूठे के बीच से रंग को गिराना है। उंगली के ऊपर धीरे धीरे अंगूठा सिरकाइए ताकि रंग ठीक से गिरे।


आप सबको दीपावली 2022 की ढेर सारी शुभकामनाएं। दिवाली 2022 में अपने घर के आंगन में रंगोली बनाना मत भूलना। और अगर रंगोली की ये सारी बातें अच्छी लगी हों तो आपके परिवार और दोस्तों से जरूर शेयर कीजियेगा। 


Thank you for reading

Stay happy! Stay healthy!


URVI BHANUSHALI
MANISH MEVADA

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