दशहरा के दिन जलेबी फाफड़ा क्यों खाए जाते हैं
हर साल दशहरा के दिन पापा गरमा गरम जलेबी और फाफड़ा लेकर आते हैं और हम बड़े प्यार से खाते भी हैं। पर क्या आपने कभी ये सोचा है की दशहरा के दिन जलेबी फाफड़ा क्यों खाए जाते हैं? क्यों इस दिन रिवाज़ बना होगा, ये सवाल कभी आपने सोचा है? बाकी सारे सवालों के जवाब की तरह इस सवाल का जवाब भी आपको इस वेबसाइट पे मिल ही जायेगा।
दशहरा एक बोहोत महत्व का हिंदू त्योहार है। इस दिन को पूरे भारत देश में बड़े हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। ये अन्याय पर न्याय की, असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक स्वरूप दिन है। इस दिन पर बोहोत रीति रिवाज प्रचलित हैं। हर जगह रावण के बड़े पुतले बनके जलाए जाते हैं। कई जगहों पर रावण दहन से पहले रावण की पूजा होती है । और गुजरात में दशहरा के दिन जलेबी फाफड़ा खाने का रिवाज प्रचलित है। भारत में हर रिवाज़ के पीछे कोई न कोई कारण होता है। पर जलेबी फाफड़ा का राज़ कोई नहीं जानता कि यह रिवाज क्यों है। पर अब ये आर्टिकल पढ़ने के बाद आपके लिए ये राज़ राज़ नही रहेगा।
चने का आटे से उपवास का खुलना
हमारे पूर्वज ये भी मानते थे की नवरात्रि के उपवास का खुलना, जिसे पारणा कहते हैं, वो चने के आटे से बनी चीज से ही होना चाहिए। अब क्योंकि दशहरा के दिन ही उपवास खोलने का समय आता है, इसलिए चने के आटे से बनी जलेबी और फाफड़ा खाने का रिवाज शुरू हुआ है। ज्यादातर जगहों पे जलेबी खाने का रिवाज़ होता है, पर गुजरात में मीठी चीज के साथ कुछ नाश्ता (फरसान) खाने की आदत है, इसलिए फफड़ा और जलेबी का रिश्ता जुड़ गया।
राम की प्रिय जलेबी
कहा जाता है की हमारे सबके प्रिय श्री राम भगवान को जलेबी बड़ी प्रिय थी। स्वयं हनुमान चने के आटे को गोल गोल कर के घी में fry करते थे, और इस तरह वे श्री राम को जलेबी बनाकर खिलाते थे। तब जलेबी को शशकुली कहा जाता था। है ना ये नई जानकारी!
अब क्योंकि दशहरा के दिन हम राम जी के विजय का उत्सव मनाते हैं, तो खाने में उनकी प्रिय जलेबी को केसे ना खाएं। तो इस तरह दशहरा के दिन जलेबी खाने की परंपरा शुरू हुई।
इसी बात पे बोलिए प्रभु श्री राम चंद्र की जय।
हमारी स्वीट craving
दशहरा के पहले अश्विन नवरात्रि होती है। इन 9 दिन उपवास करने की रीत है। कई लोग सिर्फ फल खाकर और कई लोग सिर्फ पानी पीकर उपवास करते हैं। ऊपर से इन दिनों में गरबा खेलने की भी प्रथा होती है, या कोई और प्रकार के नृत्य करने का रिवाज़ होता है। तो इस कारण से शरीर में sugar की मात्रा कम हो जाती है। पर आने वाले ठंडी के मौसम के लिए शरीर में sugar पर्याप्त मात्रा में होना जरूरी है। तो ये ही logic से हमारे पूर्वजों ने जलेबी खाने की रीत शुरू की होगी। जलेबी की मिठास से उपवास के दिनों में कम हुई sugar balance हो जाती है।
Seasonal change से बचने की रीत
दशहरा शरद ऋतु में आता है। और इस समय के दौरान season काफी अजीब होती है। क्या आप भी ये महसूस करते हो? दिन में गर्मी लगती रहती है, और रात होते ही ठंडी सी हो जाती है। कभी कबार बारिश भी हो जाती है। इस वजह से शरीर में काफी imbalances आ जाते हैं। और हमारा हैप्पी हार्मोन serotonin का प्रोडक्शन कम हो जाता है। पर हमारे रीति रिवाजों ने इस बात को भी cover कर लिया है। ऐसा जानने में आया है की गरमा गरम जलेबी खाने से serotonin का प्रोडक्शन शुरू हो जाता है। कमाल की चीज है ना ये, नाम जलेबी बाई। (Fun intended)
जलेबी के दूसरे मेडिकल फायदे
जलेबी वैसे बोहोत काम की चीज है। ये देखा गया है की जलेबी खाने से स्ट्रेस और anxiety के symptoms कम होने लगते हैं। इसका कारण है जलेबी की sugar और घी के anti-oxidants। इस सीजनल चेंज के समय में कई लोगों को स्ट्रेस का अनुभव होता है, तो जलेबी खाने से स्ट्रेस भाग जाता है।
Seasonal changes के कारण कई लोगों को माइग्रेन की भी तकलीफ हो जाती है। तो इस समय जलेबी प्रमाण में खाने से माइग्रेन से बच सकते हैं। प्रमाण से खाने के लिए ही जलेबी के साथ फाफड़ा खाते हैं। ताकि शुगर भी बैलेंस हो जाए और जलेबी का over eating ना हो जाए।
जलेबी फाफड़ा का कॉम्बिनेशन एक Protein rich diet भी है।
इसके अलावा जलेबी को जब दूध के साथ खाया जाता है। इससे जुखाम और खांसी में राहत मिलती है।
बड़े बुजुर्ग कहते हैं की किसीको पेट में तकलीफ रहती हो तो एक ही जलेबी खाने से सब ठीक हो जाता है।
पर ये समझना जरूरी है, की ये सारी बातें कोई scientific research पे based नहीं हैं। पर हमारे पूर्वजों और बड़े बुजुर्ग के experience से जुड़ी हुई हैं। पर मेरा मानना है की हमारे पूर्वजों की बातें कोई खजाने से कम नहीं हैं, तो उसे हम रिवाज़ के रूप में बचा के रखें ये जरूरी है।
जलेबी और फाफड़ा की ये मीठी मीठी बातें आपको समझ आई होंगी ये आशा है। ये आर्टिकल अगर आपको इंटरेस्टिंग लगा तो आपके दोस्तों के साथ शेयर करें। और ये बातें सबको बताए ताकि वो जलेबी फाफड़ा का आनंद मजे से ले सके।
Thank you for reading!
Stay happy! Stay healthy!
Manish Mevada
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