रोटी गोल क्यूं होती है? रोटी तो हम सब खाते हैं पर क्या आपको इस सवाल का जवाब पता है? इस आर्टिकल को last तक पढ़ें, जरूर जवाब मिल जायेगा।
रोटी गोल क्यूं बनाते हैं?
हम में से कई लोग हररोज रोटी खाते होंगे। कोई गेहूं की रोटी खाता होगा, तो कोई ज्वारी की रोटी, कोई मक्की की रोटी तो कोई बाजरे की रोटी खाता होगा। ये सब रोटियां अलग अलग हैं, पर इनमे एक चीज common है, की ये सब रोटियां गोल ही होती हैं। कभी ये सोचा है आपने की रोटी किसी और shape में क्यूं नहीं बनाते?
वैसे बनने को तो बोहोत आकार की रोटी बन सकती है, पर पौराणिक काल से रोटी गोल ही होने का ज़िक्र पाया जाता है। इसके पीछे कोई ठोस वजह तो रही ही होगी। Science और culture दोनों में इस सवाल का जवाब छिपा हुआ है।
रोटी का विज्ञान
रोटी बनाने के लिए basic जरूरत है आटा। आटा बांधना एक कला है, अगर ये किसीको ठीक से आ गया तो रोटी जरूर अच्छी ही बनेगी। पर ऐसा क्यों?
क्यूंकि इस आटे में carbohydrates जैसे की gluten होते हैं, जब वो पानी के साथ मिलते हैं तो एक लचीलापन आता है। और जब हाथों से उसे मसला जाता है तो आटे में हवा भी trap हो जाती है।
जब रोटी को बेलन से roll करते हैं, तो ये हवा equal parts में पूरी रोटी में distribute हो जाती है। अब इसे जब गर्म तवे पे रखते हैं, तो तीन चीज़ें होती हैं
- आटा पकता है,
- पानी का वाष्पीकरण होता है, और
- आटे में trap हुई हवा ज्यादा जगह लेने की कोशिश करती है।
इसकी वजह से रोटी फूल जाती है। अगर बेलन से ज्यादा pressure हो जाता है तो आटे में हवा की जगह नहीं रहती और तीसरा स्टेप miss हो जाता है। इसकी वजह से रोटी फूलती नहीं, flat ही रह जाती है।
रोटी के गोल होने का कारण
रोटी के विज्ञान को समझ लेने के बाद अब हम आते हैं हमारे main मुद्दे पे, की रोटियां गोल ही क्यों बनानी हैं? इसके कई कारण हैं, हम एक एक कर के समझते हैं।
जिस आकर का बर्तन हो उसी shape की रोटी बनने में आसानी होती है, रोटी अच्छे से पकती है। पहले के समय में बर्तन गोल ही होते थे। क्युकी बर्तन सब हाथों से बनाए जाते थे, मशीन नही हुआ करती थी। गोल आकार में बर्तन बनाना आसान और टिकाऊ हुआ करता था। क्यूंकि बर्तन या तो मिट्टी के होते थे या कोई धातु के। अगर मिट्टी के बनाने है, तो कुम्हार अपने हाथों से मिट्टी को चाक पे रख के, चाक को घुमाके मिट्टी का तवा बनाता है।
और अगर लोहे का या धातु का बर्तन बनाना हो, तो उस धातु को पहले पिघलाके, उसे कोई mould में डाला जाता है, इसे फिर हाथों से उसे press किया जाता है। अगर इसमें गोल आकार होता है, तो प्रेशर गुरुत्वाकर्षण की वजह से हर जगह समान पोहोचता है। पर अगर कोई दूसरा आकार हो, तो उसमें कोना बनेगा, जिससे वहां pressure point बनेगा और बर्तन ज्यादा टिकेगा नही।
गोल आकार के बर्तन साफ करने में भी आसान होते हैं, क्युकी उसमे कोई कोना नही होता जहां खाने के दाने अटक जाएं। पर अगर चौरस या त्रिकोण आकार का बर्तन होगा तो उसमे साफ करने में बोहोत मुश्किल होगी।
अच्छी रोटी बनाने के लिए रोटी की thickness हर जगह एक समान होना जरूरी है। इसके रोटी को बेलते समय बेलन पे दोनो हाथों से equal pressure देना जरूरी है। जब गोल रोटी बनाते हैं, तो उसकी मोटाई हर जगह एक समान बन सकती है। इससे क्या होता है की रोटी के आटे में trap हुई हवा एकसमान रूप से रोटी में distribute होगी। और जब ये equally distributed हवा पे equally distributed heat आयेगी, तो रोटी एकसमान पकेगी, और गेंद के जैसे फूलेगी भी।
पर अगर square या triangle shape की रोटी बनाएंगे, तो हो सकता है की रोटी की sides मोटी हो जाएं और बीच का भाग पतला हो जाए। ऐसा करने से रोटी फूलती नहीं है और soft और मुलायम नही बनती।
पहले के समय में लोग बेलन से रोटियां नही बनते थे, हाथों की मदद से ही रोटी बनती थी। हाथ से जब रोटी बनाई जाती है, तो खुद से ही गोल आकार बन जाता है।
Cultural point of view से देखें, तो हमारे पूर्वज ये मानते थे की खाने की चीज सुंदर और एक रूप हो तो खाने में ज़्यादा आनंद आता है। ये तो आज की साइकोलॉजी विज्ञान भी मानती है। और पहले के लोगों के लिए सुंदरता का मापदंड प्रकृति से ही रहता था। और प्रकृति में ज्यादातर गोल आकार पाया जाता है। इसलिए खाने की चीजें और बर्तन गोलाकार में बनाने की रीत है।
सिर्फ रोटी ही नही, कई सारी खाने की चीजों का आकार गोल होता है। जैसे की dosa, idli, jalebi, puri वगैरह। इन सबके गोल आकार के होने का कारण भी लगभग यही होता है।
हमारे यहां बेटी को मां कहती हैं की रोटी गोल नही बनेगी तो क्या करेगी आगे जाके, तो उनका असली में ये होता है की रोटी बनाने में और पकाने में जैसे समानता रखनी होती है वैसे ही आगे जाके जिंदगी में balance बनाए रखना है। आज के दौर में मां की ये सलाह बेटी और बेटे दोनो के लिए जरुरी है, रोटी बनाने की भी और बैलेंस बनाए रखने की भी।
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Manish Mevada
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