होली का पर्व भारत में हर्षोल्लास और रंगों के साथ मनाया जाता है। इससे पूर्व 'होलिका दहन' की परंपरा है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
होलिका दहन तिथि मुहूर्त 2025
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि आरंभ: 13 मार्च , गुरुवार, प्रातः 10:35 से
फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का समापन 14 मार्च को 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए होलिका दहन दिन बुधवार, 13 मार्च 2025 को मनाई जाएगी, जिसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इ
होलिका दहन की पूजा विधि इस प्रकार है:
1. पूजा स्थल की तैयारी:
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
2. आवश्यक सामग्री:
रोली (कुमकुम), कच्चा सूत (मौली), अक्षत (चावल), पुष्प, साबुत हल्दी, बताशे, फल, नारियल, जल से भरा कलश।
3. पूजन विधि:
गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमाएं बनाएं।
रोली, मौली, अक्षत, पुष्प आदि अर्पित करें।
कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें।
लोटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी वस्तुओं को एक-एक करके होलिका को समर्पित करें।
रोली, अक्षत व पुष्प को भी पूजन में प्रयोग करें।
गंध-पुष्प का प्रयोग करते हुए पंचोपचार विधि से होलिका का पूजन करें।
अग्नि जलाने से पहले अपना नाम, पिता का नाम और गोत्र का नाम लेते हुए अक्षत (चावल) में उठाएं और भगवान गणेश का स्मरण कर होलिका पर अक्षत अर्पण करें
पूजन के बाद जल से अर्घ्य दें।
4. होलिका दहन:
शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन करें। ध्यान दें कि भद्रा काल में दहन न करें।
5. दहन के बाद:
होलिका में कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग- गेहूं, चना, जौ भी अर्पित करें।
होलिका की राख को घर में लाएं और माथे पर लगाएं।
इस प्रकार विधिपूर्वक होलिका दहन की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
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